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मोदी को वोट दोगे, बनारस वालों ?

10 मई 2014

अभी तक बनारस को बनारसी साड़ी और बनारसी पान के लिये ही जाना जाता था। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव के कारण एक बार फिर इस शहर पर देश और दूनिया की नजरें टिकी हुई है। कारण, भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी इस लोकसभा चुनाव में यहाँ से प्रत्याशी हैँ। अब मोदी जी यहाँ से खड़े हैं तो श्री केजरीवाल जी भी उनको हराने के लिए यहीँ से खड़े हो गये। लेकिन क्या केजरीवाल जी मोदी जी को संसद जाने से रोक पाएंगे ? मोदी जी तो गुजरात के वड़ोदरा से भी प्रत्याशी हैं। गुजरात उनका गृह प्रदेश भी है।अगर बनारस से हार भी गये तो वड़ोदरा मैं तो जीत सकते हैं। सिर्फ किसी को हराने के लिए चुनावी मैदान में उतरना कहाँ तक उचित है। 


वैसे तो हिंदुस्तान का कोई भी नागरिक पुरे देश में कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है , लेकिन मोदी जी ने बनारस को ही क्योँ चुना इस पर थोड़ी शंका होनी लाजिमी है। बनारस से सांसद बनकर आखिर वो क्या सन्देश देना चाहते हैं अपने समर्थकों और विरोधियों को ? इन सब बातों के बीच एक बात महत्वपूर्ण है कि दोनो जगहों के वोटर के मन में एक बात तो जरूर होगी की अगर मोदी ज़ी दोनोँ ही सीट से जीत गये तो कहाँ की जनता का प्रतिनिधित्व अपने पास रखेंगे। वड़ोदरा तो उनके गृह प्रदेश में हैं तो हो सकता है कि वो वहीँ की सीट अपने पास रखे।

आखिर बनारस की जनता मोदी जी को अपना वोट देकर क्यों जिताये ? क्या पता दोनों जगह से जीतने के बाद वो बनारस से इस्तीफा दे दें। ऐसे में तो जनता ठगी सी ही मह्सूस करेगी। फिर से दुबारा चुनाव होंगे और अगली बार किसी और को चुनना होगा। जब दूसरी बार में किसी और को ही चुनना है तो क्यों नहीं इसी बार किसी और को चुना जाये इससे दुसरी बार होने वाले चुनाव का खर्चा तो बच जाएगा। इस तरह से मोदी जी सांसद भी बन जाएंगे और बहुमत मिला तो प्रधान मंत्री भी। 

लेकिन क्या होगा जब वड़ोदरा की जनता ने भी कुछ ऐसा ही सोच लिया तो ? फिर तो न इधर के रहे न उधर के सनम।
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