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अच्छे दिन आ गए, अब भविष्य निधि की रकम पर भी टैक्स लगेगा !




2 मार्च , 2016

प्रॉविडेण्ट फंड का मतलब होता है भविष्य निधि।  अपनी सरकारी या प्राइवेट नौकरी के दौरान वेतनभोगी कर्मचारी अपने वेतन का कुछ हिस्सा इस निधि में जमा करता है ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रहे। बुढापे में जब सेवा निवृत हो तो एक अच्छी खासी रकम मिले जिसका इस्तेमाल किसी बड़े कार्य के लिये किया जा सके।  भविष्य निधि में दिये जाने वाले इस अंशदान पर कोई कर नही लगता है।  अभी तक सेवानिवृति के बाद मिलने वाली कुल रकम पर भी कोई कर नही लगता था।  लेकिन अच्छे दिनो वाली सरकार ने हम सबके लिये अच्छे दिन लाने की अपनी वचनबद्धता को पूरा करने के लिये इस पर कर लगा रही है।  वित्त मंत्री जी के बजट भाषण का हिस्सा नीचे ज्यों का त्यों लिखा हुआ है।  

137. Pension schemes offer financial protection to senior citizens. I believe that the tax treatment should be uniform for defined benefit and defined contribution pension plans. I propose to make withdrawal up to 40% of the corpus at the time of retirement tax exempt in the case of National Pension Scheme.

138. In case of superannuation funds and recognized provident funds, including EPF, the same norm of 40% of corpus to be tax free will apply in respect of corpus created out of contributions made after 1.4.2016.


ये वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली जी के लोकसभा में दिये गये बजट भाषण के अंश हैं।  हिन्दी-भाषी प्रदेश का होने के कारण मेरी अंग्रेज़ी थोड़ी कमजोर है।  वैसे ऊपर लिखे वाक्यों के मायने तो मैं समझ गया था, लेकिन  ये  "corpus" शब्द मेरे लिये बिल्कुल नया था। Google पर तलाशने पर पता चला कि इसका हिन्दी में मतलब होता है "संग्रह"  (http://dict.hinkhoj.com/corpus-meaning-in-hindi.words) । मतलब कि 1.4.2016 के बाद से किसी वेतनभोगी कर्मचारी द्वारा जितने भी पैसे नैशनल पेन्शन स्कीम, सुपर अनुयशन फंड और अन्य मान्यताप्राप्त भविष्य निधि कोष जैसे कि EPF आदि में जमा किये जायेंगे, सेवा-निवृति के समय उनको वापस लेने पर कुल संग्रह का 40% पर कोई कर नही लगेगा।  हम जैसी आम जनता जिसको कर-प्रावधान का ज्यादा ज्ञान नही होता है उसको तो यही लगेगा न कि शायद पहले 100% रकम पर कर लगता होगा, अब हमारे वित्तमंत्री जी उस पर 40% की राहत दे रहे हैं।  लेकिन, यहाँ शब्द-प्रयोग की कुशलता देखिये, ये नहीं कहा कि 60% पर कर लगेगा।  ये तो भला हो हमारे देश की मीडिया का और कुछ नेताओं का जिसने इसके मर्म को समझाया।  

जाहिर सी बात है कि ये कहीं से भी वेतनभोगियों के हित में नहीं है।  ज़िंदगी भर काम करके कुछ पैसे जमा किया कि हमें कर रहित रकम मिलेगी और अब अच्छे दिनो वाली सरकार इस पर भी कर लगा रही है।  यह बिल्कुल नाइंसाफी है वेतनभोगियों के साथ।  जब इस पर विरोध बढ़ा तो राजस्व सचिव जी की तरफ से एक स्पष्टीकरण आया कि कर पूरी रकम पर नही बल्कि सिर्फ 60% के ब्याज पर ही लगेगा।  मूलधन बिल्कुल कर मुक्त रहेगा। ये खबर सुनकर थोड़ी राहत महसूस हुई।  लेकिन कुछ ही घंटो बाद वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा जी द्वारा विस्तृत स्पष्टीकरण दिया गया।  कहा गया कि लोगो को पेंशन योजना में निवेश के लिये प्रोत्साहित करना है इसीलिये कुल रकम के 60% पर कर लगाया जा रहा है।  अगर कुल संग्रह के 60% रकम का निवेश annuity किया जाता है तो उस पर कोई कर नही लगेगा।  

देखिये, सरकार को हमारी कितनी फ़िक्र है। और हम बेवक़ूफ़ झट से सरकार का विरोध करने लगते हैं। सरकार समझती है कि हम नासमझ लोग पैसे को इधर उधर बर्बाद कर देंगे।  इसीलिए, भैया अपने तरीके से तुमको अपना पैसा खर्च करना है तो हमको कर देना पडेगा।  अगर, कर बचाना चाहते हो तो हम जिस योजना मे कहते हैं उसमें पैसे लगाओ। कैसी बात की जा रही है ? कैसे कैसे तर्क दिये जा रहे हैं। 

यह वेतनभोगियों के साथ सरासर ना-इंसाफी है।  BJP वाले या यूं कहिये कि NDA वाले तो बिल्कुल ही विरोध नही करेंगे।  वो तो बजट की तारीफ में दिन रात एक किये जा रहे हैं।  वैसे भी लोकसभा में सरकार को प्रचंड बहुमत प्राप्त है।  लेकिन राज्यसभा में विपक्ष मजबूत है। अब तो सिर्फ सोनिया गाँधी जी से ही उम्मीद रह गयी है।  उम्मीद करता हूँ कि राज्यसभा में बहुमत के दम पर कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर अपना संशोधन प्रस्ताव लायेगी जिसको सम्पूर्ण विपक्ष का समर्थन मिलेगा और सरकार इस कर प्रस्ताव को वापस लेगी। 
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