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अच्छे दिन का बजट 2016




5 मार्च , 2016 


माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा वर्ष 2016-2017 का बजट प्रस्ताव पेश किया गया संसद में। खूब तारीफ मिली सत्ता पक्ष के द्वारा इस बजट को । मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी बजट वाली शाम तक कोई कमी नहीं दीख रही थी बजट प्रस्ताव में। किसी भी घोषणाओं पर कोई ऐतराज नहीं, एक बार तो लगा कि स्वस्थ राजनीती का जमाना फिर से वापस आ गया है। सिर्फ सरकार की नीयत पर ही सवाल उठाते रहे, बजट के प्रस्तावों के विरोध में कुछ भी खास कहने को नहीं था विरोधी दलों के पास।  फिर दूसरे दिन प्रोविडेंट फंड की टैक्सेशन पर भारी विरोध हुआ और सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण भी आया। बात ख़त्म हो गयी।

अब आज वित्त मंत्री जी के बजट भाषण को पढ़ने का मौका मिला तो पता चला कि सिर्फ प्रोविडेंट फंड ही नहीं और भी बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अब 80GG के अंतर्गत मकान किराया की कर-रहित सीमा 24,000/- रुपए से बढाकर 60,000/- रुपए वार्षिक कर दी गयी है। अच्छी बात है, इसकी तारीफ होनी चाहिए। लेकिन क्या दिल्ली और दूसरे मेट्रो शहरों में 5,000/- रुपए प्रति माह के किराये पर कोई सम्मानजनक आशियाना मिलता है ? 8,000-9,000/- रुपए प्रति माह से कम किराये पर कोई ढंग का घर नहीं मिलता। अच्छा होता कि इसकी सीमा 1,20,000/- प्रति वर्ष कर दी गयी होती। 

आय कर के स्लैब में किसी भी प्रकार के बदलाव का प्रस्ताव नहीं है। महंगाई आसमान छूने को तैयार है। हर चीज की कीमत बढ़ती ही जा रही है। लेकिन सरकार को तो किसी भी तरह से कर प्राप्ति से मतलब है। आय कर रहित आय की जो सीमा अभी है उससे ज्यादा कमाना पड़ता है रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए। पहले तो 2,50,000/- रुपए  वार्षिक आय में जैसे तैसे गुजारा हो भी जाता था लेकिन अभी तो साल में 3,00,000/- रुपए भी कम पड़ते है। आय कर की छूट सीमा 5,00,000/- रुपए की जाएगी तभी गुजर बसर आराम से हो पायेगा। ये सिर्फ 3,000/- रुपए कर पर बचाकर कुछ नहीं होने वाला।     


सेवा कर तो बस कर प्राप्ति का एक आसान सा साधन हो गया है। जब कभी मन हुआ इसकी दर बढ़ा देती है सरकार। 5.00% की दर से शुरू किया गया यह कर सिर्फ कुछ ही सेवाओं पर लागू होता था लेकिन आज 100 से भी ज्यादा सेवाओं पर लागू है यह। पिछले बजट में शिक्षा सेश लगाकर 12.36 % से बढाकर जून 2015 में 14. 00% पर पहुँच चूका था। उसके बाद नवम्बर 2015 में स्वच्छ भारत के सेश के रूप में 0.5% की वृद्धि कर दी गयी थी और सेवा कर की दर 14.50% हो गयी । इस बजट में 0.50% की वृद्धि का प्रस्ताव है कृषि कल्याण के सेश के रूप में जिससे अब यह 15.00 % हो जायेगा। वो दिन दूर नहीं जब आय कर से ज्यादा सेवा कर की दर हो जाएगी। 

यही नहीं, 1% इंफ्रास्ट्रक्चर सेश छोटी पेट्रोल, एलपीजी और सीएनजी कारों पर भी लगाने का प्रस्ताव है। कम से कम छोटी कार खरीदने वाले माध्यम आय वर्ग के लोगों को तो इससे मुक्त रखा जाना चाहिए था। बड़ी मुश्किल से तो इस वर्ग के लोग जैसे तैसे उपाय करके एक गाड़ी लेने का सपना साकार करने की कोशिश करते हैं। छोटी कार लेने वाले ज्यादातर लोग लोन लेकर ही गाड़ी खरीद पाते हैं। 2.5% इंफ्रास्ट्रक्चर सेश डीजल की कुछ निश्चित क्षमता वाली और 4% दूसरे इंजिन क्षमता वाली गाड़ी और SUV पर लगाने का प्रस्ताव है।  कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है, ऐसा नहीं है कि इस बजट में सब कुछ ही अच्छा ही अच्छा है। जनता पर बोझ बढ़ाने के भी प्रस्ताव रखे गए हैं इस बजट में। लेकिन इस पर विपक्षी दल मौन हैं। जनता क्या करे ?
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