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वेट लिस्ट टिकट वाले अब रेल यात्रा नहीं कर पायेंगे।



11 अगस्त, 2013

जी हाँ, अब यही होगा हमारे हिन्दुस्तान में। वैसे नियम तो पहले से ही था कि जिन यात्रियों का प्रतीक्षारत टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया वो अपना टिकट रद्द करवा लें।  लेकिन यात्रा की विवशता को देखते हुए वैसे लोग भी यात्रा करते थे और कन्फर्म टिकट वाले सह यात्रियों से अनुरोध करके, उनकी मनुहार करके बैठने की थोड़ी सी जगह पा लेते थे और जैसे तैसे अपनी यात्रा पूरी कर लेते थे।

लेकिन धीरे धीरे वक्त बदलता गया और वेटिंग वाले यात्रियों का व्यवहार भी।  अब वो सीट पर बैठना अपना हक़ समझने लगे। अब वो सहयात्रियों से अनुरोध नहीं करते बल्कि अपना हक़ समझते हुए उनको जगह देने का आदेश देने लगे।  अगर कोई ऐतराज़ करता तो उसको अच्छी तरह से समझाते कि  आपका रिजर्वेशन सिर्फ रात में सोने के लिए है दिन में इस पर कोई भी बैठ सकता है।  आप दिन में सो नहीं सकते और न ही किसी को अपनी सीट पर बैठने से रोक सकते हैं । भला आदमी तो ऐसे ही मान जाता था और अगर नहीं माने तो गाली गलौज और मार पीट की नौबत आ जाती थी। फिर जिसकी लाठी उसकी भैंस।  टी टी साहब को इन सब से कुछ ख़ास लेना देना नहीं होता था। उनको तो सिर्फ चालू टिकट वाले यात्री से पेनल्टी वसूलने से मतलब था।  अगर कोई शिकायत भी करता तो कहते कि थोडा बहुत एडजस्ट कर लीजिये, सबको साथ ही जाना है. लेकिन कभी किसी टी टी ने किसी वेटिंग टिकट वाले को उसकी सीट से उठाकर ट्रेन से नहीं उतारा ।

अगर किसी कन्फर्म टिकट वाले के साथ वेटिंग वाला हो तो वो आपस में ही एडजस्ट कर लेते हैं। कई बार त्योहारों के मौसम में एक कन्फर्म टिकट वाले के साथ ४-४ या इससे भी ज्यादा वेटिंग टिकट वाले प्रसन्नता के साथ सुखद यात्रा कर लेते हैं। लेकिन जो अनाथ वेटिंग वाले हैं वो दूसरों के लिए सरदर्द बन जाते हैं। कई बार तो मैं भी भुक्तभोगी बन चूका हूँ। दिल्ली से बिहार या फिर बिहार से दिल्ली की यात्रा के क्रम में कई बार मेरी बर्थ के किनारे किनारे लोग बैठ जाते थे।  मैं न तो ठीक से पैर फैला पाता था और न ही हाथ, लेकिन मेरे सहयात्रियों को थोडा आराम मिल रहा है यह सोचकर दिल को थोडा सूकून मिल जाता था । ऐसे में भी कुछ लोग मुझ जगाकर यह बताने में संकोच नहीं महसूस करते थे कि मेरे पैर या हाथ फ़ैलाने से उनको बैठने में तकलीफ हो रही है।

अब शयन यान में यात्रा आराम से की जा सकेगी लेकिन रेलवे की आमदनी का क्या होगा ? अभी तक तो ट्रेन में रिजर्वेशन से ज्यादा वेटिंग और चालू टिकट वाले यात्री यात्रा करते थे फिर भी रेलवे का घाटा हर साल नए कीर्तिमान स्थापित करता था।  अब जबकि वेटिंग वाले अपना टिकट रद्द करवा लेंगे और चालू टिकट वाले शयन यान में घुस नहीं पायेंगे तो रेलवे का भटठा नहीं बैठ जाएगा ? टी टी साहब की ऊपरी आमदनी मारी गयी सो अलग। बगैर समुचित व्यवस्था किए ऐसा फरमान जारी करने से क्या फायदा होगा ? ऐसा तो है नहीं कि लोगों को धक्के खाकर यात्रा करने का शौक है। अब ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं मिलेगा तो जाने वाले जैसे तैसे जायेंगे ही।

ट्रेन्स की  संख्या बढाये बगैर इस नियम से फायदा कुछ नहीं होने वाला है , लोग नियम तोड़ने को मजबूर होंगे।
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