31 अगस्त, 2013
केजरीवाल जी ने दिल्ली से अपने चुनावी राजनीती की शुरुआत की है। ठीक भी है, छोटा प्रदेश है , मात्र ७० सीटें हैं। इनके इरादे नेक हैं, वादे गरीब जनता के हित में हैं। लेकिन केजरीवाल जी, क्या दिल्ली में सिर्फ गरीब जनता ही है। कितने प्रतिशत लोग हैं जो आपको बिजली, पानी, सड़क की समस्याओं से इस कदर परेशान हैं कि आपको वोट देंगे। मेरी जितने भी मित्रों से बात हुई है जो वाकई में गरीब हैं, सब मानते हैं कि भाजपा और कांग्रेस की सरकार ठीक नहीं हैं, लेकिन फिर भी वोट इन्हीं दोनों में से एक को देना चाहते हैं। कहते हैं कि केजरीवाल को वोट देना वोट ख़राब करने के बराबर है। ये लोग जीतेंगे थोड़े ही। अरे बेवकूफों , अगर यही सोचकर वोट नहीं दोगे तो ये जीतेंगे कैसे ?
कुछ लोग तो दारू लेकर वोट देने के आदि हैं। वो सालों भर अभाव का रोना रोते रहते हैं। उनको कदम कदम पर महंगाई और अव्यवस्था दिखती है लेकिन वोट देने की पूर्व संध्या पर जिसने मदिरा से अनुग्रहित कर दिया उन्हीं को अगले दिन वोट। सस्ते सामान, व्यवस्था में परिवर्तन, भ्रष्टाचार से मुक्ति सबको चाहिए लेकिन वोट करेंगे पुरानी पार्टी को ही।
अब तुम्ही बताओ केजरीवाल, दिल्ली में इतने सारे अवैध निर्माण हो रहे हैं और हुए पड़े हैं, ऐसे लोग तुमको वोट क्यों देंगे ? जो लोग सडकों पर गाड़ियाँ खड़ी करने के आदि हैं वो तुमको वोट क्यों देंगे। अपने दूकान के हिस्से के बहार सामान फैला कर बेचने वाले तुमको वोट क्यों देंगे। दिल्ली में इतनी सारे व्यवसायी और उद्योग धंधे हैं जहाँ मजदूरों को सही मजदूरी नहीं मिलती , कोई चिकित्सा सुविधा और अन्य सुविधा नहीं मिलती। ऐसे धंधे वाले लोग तुमको वोट क्यों देंगे ? अभी देश में और दिल्ली में भी प्याज के दाम इतने बढे हैं , क्या ये इसलिए है कि प्याज की कमी है हमारे देश में ? नहीं, यह सिर्फ और सिर्फ जमाखोरी और मुनाफाखोरी का परिणाम है। ऐसे जमाखोर तुमको वोट क्यों देंगे ?
तुम तो इन सब का बेडा गर्क कर दोगे अपनी भ्रष्टाचार निरोधी झाड़ू लगाकर। ऐसे लोगों अभी तक इसलिए फल फूल रहे हैं क्योंकि अभी तक इनके खिलाफ कोई जोरदार अभियान नहीं चलाया गया है। और तुम ऐसे ही लोगों के खिलाफ कदम उठाने की बात करते हो।
और जो लोग तुम्हारी बात पर तालियाँ बजाते हैं, तुम्हारी हर जनसभा में पहुँचते हैं, क्या जरूरी है कि ये लोग तुमको वोट भी करेंगे ? ऐसे लोगों को तुमसे दूर करने के लिए देश में भूखमरी निरोधक कानून पास हो गया है आनन फानन में। कांग्रेस वाले गरीबों को ये समझाने में कोई कसर नहीं कि अब देश में गरीबी के दिन लद गए। अब सभी गरीबों को भर पेट भोजन मिलेगा। अब क्या मिलेगा क्या नहीं, लेकिन खुशनुमा माहौल में दिल्ली विधानसभा चुनाव की वैतरणी तो पार कर ही लेंगे। बेशक भाजपा और अन्य दलों ने संसद में इसको पास कराने में सरकार का पूरजोर समर्थन किया है लेकिन चुनाव में दिल्ली के गरीबों को समझाने में पूरी जान लगा देंगे कि यह कानून गरीबों का अहित करने वाला है।
ऐसे में तुम्हारी बात कौन सुनेगा और मानेगा। तुमको तो अभी राजनीती का ककहरा भी नहीं मालूम। यहाँ राजनीती के बड़े बड़े घाघ खिलाड़ी बैठे हुए हैं जो जनता का सेवक नहीं खुद को शासक समझते हैं और चुनाव जीतने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद का प्रयोग करते हैं। इनके बीच राजनीती का नवजात शिशु कब तक लडेगा। तुम्हारी हालत तो मैं महाभारत के अभिन्यु की भांति समझता हूँ।
लेकिन अगर वास्तव में सच्चाई और ईमानदारी, अच्छे इरादों और नेक नीयति की जीत होती है , तो तुमको जरूर दिल्ली की जनता अपनी सेवा करने का मौका देगी।
लेकिन क्या कलियुग में यह संभव है...................................................
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