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कब तक नक्सलवाद का जहर पीते रहेंगे ?

19 अगस्त 2014

देश में नक्सलवाद पूरी तरह अपनी जड़ें जमा चूका है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसपर नियंत्रण पाना बड़ा ही मुश्किल है। जब चाहे जिसकी हत्या कर दी , जब मर्जी ट्रैन की पटरियों को बम से उड़ा दिया , जब इच्छा हुई सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा दिया। ऐसा लगता है कि इनको सरकार, कानून और सजा से डर ही नहीं है। थोड़े ही दिन पहले बिहार में रेल की पटरी उड़ा दिया था इन लोगों ने, ट्रेन पलट गयी और कितने बेगुनाह मारे गए। कोई पूछे कि मरने वालों का क्या कसूर था ? क्या बिगाड़ा था इन लोगों ने नक्सलियों का ? जान की कोई कीमत ही नहीं इनकी नजर में।

एक बात समझ नहीं आती, आखिर इनकी लड़ाई है किनसे और किनके हितों के संरक्षक हैं ये ? सरकारी सम्पत्तियों का नुकसान करके किसका भला कर रहे हैं ? ये सम्पत्ति सही मायने में तो जनता की और जनता के लिए ही है। जनता के पैसे से अर्जित सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाना कहाँ की बुद्धिमानी है ? कई बार पुल पुलियों को भी बम उड़ा देते हैं ये लोग ।  कहीं कोई सरकारी निर्माण हो रहा हो तो वहाँ अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक तो बड़ी मुश्किल से सरकार पैसे जुटाकर कोई परियोजना शुरू करती है , ऊपर से ये लोग विघ्न डालने पहुँच जाते हैं।

आखिर क्या चाहते हैं ये लोग ? कई बार समय समय पर राज्य एवं केन्द्र सरकारों द्वारा इनसे बातचीत भी की जाती है लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकला है। नक्सलवाद कम होने के बदले बढ़ती ही जा रही है। आखिर इसके खिलाफ कठोर कदम क्यों नहीं उठाये जाते हैं ? बाहरी शत्रुओं से लड़ने के लिए तो हमारे पास बहुत बड़ी सेना है। लेकिन आतंरिक शत्रुओं से  भी लड़ने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। इनको अपनी मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अब समय आ गया है कि एक अच्छी रणनीति बनाकर इनके खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया जाए। 
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