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कानून नहीं होगा तो तमीज से नहीं रहोगे ?


31 जुलाई 2014

आखिर हम तमीज से रहना कब सीखेंगे ? क्यों जब तक हमें कराड़ा तमाचा नहीं लगता , हम मनमर्जी किये जाते हैं। और मनमर्जी भी ऐसी जिससे अपने साथ साथ दूसरों का भी नुकसान हो। यह नुकसान कौड़ी से लेकर करोड़ तक का हो सकता है, जान भी जा सकती है। क्यों हम थोड़े से लालच के लिए अपनी और दूसरों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने लगते हैं ?

दिल्ली में अभी थोड़े दिनों पहले से ई-रिक्शा चलना शुरू हुआ है। थोड़ी दुरी के लिए जहाँ पैदल नहीं जाया जा सकता और बस की भी रूट नहीं है, उन रास्तों पर ई-रिक्शा के चलने से बड़ी राहत हुई है। प्रति व्यक्ति रुपये 10 मात्र, जो जेब को भी भारी नहीं लगता, और यात्रा भी पूरी हो जाती है। लोगों को राहत तो हुई ही बहुत से लोगों को रोजगार मिला। न तो रिक्शे के रजिस्ट्रेशन की जरूरत और न ही चलाने के लिए किसी लाइसेंस की। 

लेकिन जैसा कि हर नई चीज के साथ होता है, इसके साथ भी हुआ। लगे ई-रिक्शा के चालक अपनी मनमानी करने। 4 सवारियों की सीट है लेकिन इनका तो दिल मोर मांगता है। चाहे रिक्शे की बॉडी उतनी मजबूत न हो लेकिन बिठाने लगे ८ - ८ सवारियां। लाल बत्ती पर तो रुकने का तो इनका दिल ही नहीं करता। बाएं - दायें, आड़े - तिरछे चलाने की भी खबरें आनी लगी। कभी कभी पैदल चल रहे लोगों और साईकिल से टकराने की खबर भी आती रही। मतलब कोई कानून इनके लिए नहीं है तो पूरी मनमर्जी। किसी को ठोकर मारकर भागे तो पकडे जाने की भी गुंजाईश नहीं , रजिस्ट्रेशन जी नहीं है। 

इनकी हरकतों को देखते हुए इनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य की जाने की बात हुई तो आंदोलन करने लगे। ये लोगों की जान आफत में डालते रहें लेकिन इनके खिलाफ को कार्रवाई न हो। अगर ये चुपचाप ठीक से ई-रिक्शा चलाते रहते तो सरकार कोई जरुरत ही नहीं कि इनके लिए कोई कानून बनाये। लेकिन आराम से चलना तो मुश्किल है कानून के बगैर। फिर भी इनकी दलीलों को ध्यान में रखकर सरकार ने कानून बनाने की बात टाल दी। 

लेकिन कल की जो घटना हुई है उसके बाद तो इनका रजिस्ट्रेशन होना बहुत जरूरी हो गया है। ई-रिक्शा से ठोकर लगकर माँ की गोद से बच्ची गरम चाशनी में गिर गयी। इतनी जल्दबाजी किस लिए ? क्यों दूसरे की जान आफत में डालें ? थोड़ी देर से ही पहुँच लेंगे। यात्री तो नहीं कहता कि भाग भाग के गाड़ी चलाओ। माननीय उच्च न्यायालय का आदेश बिलकुल ठीक है। अगर इस तरह से जान-माल को खतरे में डाल कर चलाएंगे तो उचित होगा कि ई-रिक्शा को बंद कर दिया जाए। 
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About मृत्युंजय श्रीवास्तव

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