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"केजरीवाल" कहीं दिल्ली का "चिरंजीवी" तो नहीं ?




22 सितम्बर, 2013

मैं भी चौंक गया था जब मेरे एक मित्र ने यह अंदेशा जताई। 

दरअसल केजरीवाल जी की पार्टी का गठन दिल्ली विधानसभा चुनाव और २०१४ के आम चुनाव के थोड़े ही दिनों पहले हुआ है। बड़े ही जोर शोर से जनता के दिलों को अच्छी लगने वाली बात की जा रही है। भारत के महान कलाकार एवं केन्द्रीय पर्यटन मंत्री श्री चिरंजीवी की राजनितिक पार्टी का गठन भी कुछ ऐसे ही हुआ था।

चिरंजीवी की पार्टी "प्रजा राज्यम पार्टी " का गठन आँध्रप्रदेश के विधानसभा चुनाव एवं २००९ के आम चुनाव से थोड़े दिनों पहले ही २६ अगस्त २००८ को हुआ था। चिरंजीवी की स्वच्छ छवि एवं जनता के दिलों में गहरी पैठ होने के कारण नई पार्टी होने के बावजूद अप्रैल २००९ के विधानसभा चुनाव में पार्टी को १६.३२ % वोट के साथ १८ सीटों पर विजय मिली। कांग्रेस को ३६.५५ % वोट के साथ १५६ सीटें मिली और सरकार बनाने में कामयाब हुई। मुख्य विपक्षी गठबंधन, ग्रैंड अलाएंस जिसमें श्री चन्द्र बाबु नायडू की तेलुगु देशम पार्टी , श्री के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल थी, को कुल मिलाकर ३४.७६ % वोट मिला और उनके हिस्से में मात्र १०७ सीटें ही आई।

इस तरह से चिरंजीवी की पार्टी की वजह से विपक्षी मतों का अच्छा खासा बँटवारा हो गया और इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिला। इसके बाद ६ फरवरी २०११ को प्रजा राज्यम पार्टी का विधिवत कांग्रेस में विलय हो गया। श्री सुबोध कान्त सहाय जी का नाम कोयला घोटाला में आने के बाद २८ अक्टूबर २०१२ को श्री चिरंजीवी भारत सरकार में पर्यटन मंत्री बना दिए गए।

अब कुल मिला कर यही संयोग भारत की नई पार्टी " आम आदमी पार्टी " के साथ भी है. २०१२ में पार्टी के नाम की घोषणा हुई , २०१३ में पार्टी को चुनाव चिन्ह आवंटित हुआ है। संयोग से दिल्ली में भी विधानसभा के चुनाव नवम्बर, २०१३ में ही होने वाले हैं और आम चुनाव २०१४ में। दिल्ली में भी केजरीवाल जी की पार्टी चुन चुन कर जनहित के मुद्दे उठा रही है। जनता को इनकी बातें पसंद भी आ रही है। इनकी जनसभा में अच्छी खासी भीड़ भी पहुँच रही है। नई नवेली पार्टी को इतना जनसमर्थन हाल के  दिनों में शायद ही कभी मिला है।

अब १५ वर्षों से कांग्रेस दिल्ली में सत्ता में है और १० वर्षों से केंद्र में। इस बीच महंगाई और भ्रष्टाचार के मारे जनता का बुरा हाल है। लोग पानी पी पी कर हर समस्या के लिए कांग्रेस को कोस रहे हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा भी जनता को यह समझाने में कोई कसर छोड़ नहीं रही है कि उनकी सारी समस्याओं का कारण कांग्रेस की सरकार है और निवारण सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही दे सकती है।

यह बात कांग्रेस्सियों को अच्छे से समझ आ गयी होगी की अबकी बार तो दिल्ली के साथ साथ केंद्र की सत्ता भी हाँथ से जाने वाली है। आखिर देश की सबसे पुरानी पार्टी है , इसके नेता चतुर हैं इसमें शक की बात तो है ही नहीं। अब उन्होंने आंध्र प्रदेश में विपक्षी मतों में फूट डालने की जो कारगर रणनीति अपनाई थी वही दिल्ली में भी आजमाना चाह रहे होंगे। इसके अलावा और कोई चारा भी क्या है ?

लेकिन केजरीवाल जी, जनता को आपसे बहुत उम्मीदें हैं। आपकी जनसभा में पहुंचे लोगों का हुजूम इस बात का परिचायक है की जनता वर्तमान सत्ता से कितनी निराश है। इनकी उम्मीदों पर पानी मत फेरना।
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