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इंडियन रेलवे द्वारा रिफंड नियम में किए गए बदलाव से किसका भला होगा ?




1 जुलाई, 2013

भारतीय रेल द्वारा टिकट कैंसिल करवाने पर मिलने वाले रिफंड की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। यह बदलाव 1 जुलाई  2013 से प्रभावी भी हो जायेगा। आम तौर पर सरकारी महकमे द्वारा किसी पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन का मूल उद्देश्य जनता का हित ही होता है। लेकिन इस बदलाव से जनता को कितनी राहत मिलेगी ? 

आरक्षित टिकट में अब 48 घंटे पहले टिकट कैंसल कराने पर एसी फर्स्ट क्लास में 120 रुपये, सेकंड क्लास में 100 रुपये, एसी थर्ड क्लास में 90 रुपये और स्लीपर क्लास में 60 रुपये कटेंगे। मतलब न्यूनतम कैंसलेशन चार्ज भी बढ़ा दिए। आखिर इस वृद्धि का क्या औचित्य है ? एक तो महंगाई से लोग ऐसे ही परेशान हैं। हर चीज के दाम बढ़ गए हैं, कुछ ही दिन पहले यात्री किराये में वृद्धि की गयी थी। अब फिर गरीबों के जेब पर एक और बोझ रेलवे की तरफ से। 

अभी यात्रा की दूरी 500 किलोमीटर या अधिक होने पर प्रस्थान के 12 घंटे बाद तक टिकट रद्द कराने की अनुमति होती है। 24 घंटे पहले तक टिकट कैंसल कराने पर पूरे पैसे (कैंसलेशन चार्ज छोड़कर) वापस मिल जाते हैं और 24 घंटे से लेकर चार घंटे पहले तक टिकट कैंसल कराने पर 25% कटौती होती है।  
 लेकिन अब अगर ट्रेन छूटने के 6 घंटे पहले से लेकर 48 घंटे के दौरान टिकट कैंसल कराया जाता है तो टिकट का 25 फीसदी कटेगा।  ट्रेन छूटने के दो घंटे पहले से लेकर 6 घंटे के अंदर टिकट कैंसल कराने पर 50 फीसदी ही रिफंड मिलेगी। ट्रेन छूटने के 2 घंटे बाद ऐसी टिकट का कोई रिफंड नहीं मिलेगा।

आरएसी और वेटिंग टिकट का पूरा रिफंड मिलेगा, अगर कैंसल के लिए ट्रेन छूटने से तीन घंटे पहले से इसे पेश किया जाता है। ट्रेन छूटने के तीन घंटे के बाद कोई रिफंड नहीं मिलेगा। 

आखिर इतनी जल्दी क्यों है सरकार को ? जब ट्रेन छुट ही गयी है, यात्री यात्रा तो कर नहीं पायेंगे उस टिकट पर तो कैंसिल करवाने के लिए इतनी भागमभाग करवाके सरकार को क्या फायदा होगा ? पहले लोग आराम से टिकट कैंसिल करवा लेते थे, लेकिन अब एक तो गाडी छुट गयी, आगे की यात्रा कैसे होगी उसकी टेंशन ऊपर से जल्दी जल्दी टिकट कैंसिल करवाओ इसकी फ़िक्र। स्टेशन पर पहले से ही भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि आये दिन भगदड़ की खबरें सुनने को मिलती है। अब कैंसलेशन की भागदौड़ में ऐसी घटनाओं की वृद्धि के ही ज्यादा आसार हैं। 

लेकिन निरीह जनता क्या करे ? उसके विरोध को तो कोई भाव नहीं दिया जाता है। बस आपस में चर्चा करके, थोडा सरकार को कोस कर अपनी भड़ास निकल लेते हैं लोग। अब एक एक चीज के लिए सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन को नहीं किया जा सकता है न ? इसी का फायदा उठती है सरकार और अनाप शनाप तरीके से किसी भी शुल्क में वृद्धि कर देती है।

जब तक जनता जागरूक नहीं होगी, प्रशासन ऐसे ही काम करता रहेगा।
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