Catwidget3

बिहार को तो बजट में कुछ मिला ही नहीं।

15 जुलाई 2014

कभी जमाना था जब माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी विपक्ष में होते हुए भी पाकिस्तान को करारा जवाब देने पर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपाधि देते थे। लेकिन आज, विपक्ष का एक मात्र काम रह गया है सत्ता पक्ष की बुराई करना। गलती से भी सत्ता पक्ष की तारीफ में कोई शब्द न निकल जाए इसका बहुत ख्याल रखा  जाता है।  कभी कोई सत्य भाव से प्रेरित होकर किसी की तारीफ़ कर भी देता है इसको उनका अपना निजी विचार बताकर पार्टी पल्ला झाड़ने की कोशिश करती है। 

अभी ज्यादा से ज्यादा साल भर ही हुए हैं जेडीयू और भाजपा को अलग हुए। जब साथ थे तो एक दूसरे में कोई बुराई नहीं नजर आती थी। लेकिन अलग होने के दिन से ही एक दूसरे की जमकर बुराई करने में लगे हैं दोनो। अब बजट में हर किसी को खुश करना तो मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। लेकिन जिस तरह से बिहार सरकार के लोग प्रचारित कर रहे हैं कि रेल बजट में बिहार को छला गया है, यह पूर्णतः गलत है। 

देखिये क्या मिला बिहार को इस रेल बजट में.

1. अहमदाबाद-दरभंगा जनसाधारण एक्सप्रेस वाया सूरत .
2. जयनगर-मुंबई जनसाधारण एक्सप्रेस .
3. सहरसा-आनंद विहार जनसाधारण एक्सप्रेस वाया मोतिहारी.
4. सहरसा-अमृतसर जनसाधारण एक्सप्रेस
5. अहमदाबाद-पटना एक्सप्रेस (वीकली) वाया वाराणसी .
6. छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस (वीक में तीन दिन) वाया बलिया, गाजीपुर, वाराणसी .
7. कामाख्या-कटरा एक्सप्रेस (वीकली) वाया दरभंगा.
8. छपरा-मंडुआडीह (हफ्ते में 6 दिन) वाया बलिया .
9. 22409/22410 आनंद विहार-सासाराम गरीब रथ एक्सप्रेस गया तक .
10. 15231/15232 गोंदिया-मुजफ्फरपुर एक्सप्रेस बरौनी तक .
11. 55007/55008 सोनपुर-कप्तानगंज पैसेंजर गोरखपुर तक .
12. 55072/55073 गोरखपुर-थावे पैसेंजर सीवान तक.
13. 63237/63238 बक्सर-मुगलसराय मेमू वाराणसी तक .
14. 63208/63211 झाझा-पटना मेमू जसीडीह तक.

लेकिन बिहार के हुक्मरानों को कौन समझाए कि साहब जनता अब पहले की तरह बेखबर नहीं रही। झट से सच और झूठ का पता लगा लेती है। अब वो जमाना गया कि नेताओं ने जो कहा लोगों ने ज्यों का त्यों यकीन कर लिए। इसकी एक बानगी आम चुनाव में देखने को मिल ही गयी है। 

लेकिन सवाल वहीँ का वहीँ है कि स्वस्थ लोकतंत्र  स्थापना कब होगी संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र में ? 
Share on Google Plus

About मृत्युंजय श्रीवास्तव

0 comments:

Post a Comment