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नारी शरीर के प्रति इतना पागलपन क्यों ?

21 जुलाई 2014

आजकल आये दिन छेड़छाड़, बलात्कार की घटनाएं हो रही है। इन सब को देखकर मन सोचने को मजबूर हो जाता है कि आखिर नारी शरीर में ऐसा क्या है जिसके लिए कुछ लोग शर्म हया , लोक लाज , उंच नीच सबकुछ को तिलांजलि दे देते हैं । आखिर क्यों विवेक मर जाता है ?  कितने बेशर्म हो जाते हैं कुछ लोग ? चाहे बाजार हो , दुकान हो, बस या मेट्रो हो या फिर ट्रेन ही हो। नारी कहीं भी सुरक्षित नहीं दिखती। ज्योंही कोई स्त्री दिखी नहीं की निर्लज्ज लोगों की नजरें उनको घूरने में लग जाती है। गिद्ध की नजर से देखने लग जाते हैं जैसे उनकी आँखें नहीं एक्सरे मशीन हो। कहीं से कुछ दिख जाए। कोई  खुला या अधखुला अंग दिख जाए। कुछ नहीं तो कुछ पारदर्शी वस्त्रों से झांकते अंतःवस्त्र ही दिख जाए। आजकल गर्मी के दिनों में लड़कियां बगैर बाजू वाले कपडे पहनती हैं तो उसपर भी नजरें टिकाये रहते हैं की बाजू के नीचे ही कुछ दिख जाए। कितनी गन्दी सोच और उससे भी गन्दी नजर। क्या बीतती होगी उस पर जिसको इस तरह से सरेआम घूरा जा रहा है।

इन्हीं लोगों के सामने कोई इनकी माँ,  बहन या बीवी या फिर किसी महिला रिश्तेदार को गलती से एक नजर देख ले तो इनके तन बदन में आग लग जाती है। फिर ये यह क्यों नहीं सोचते कि जिनको ये घूर रहे हैं वो भी किसी की माँ बहन होगी। लेकिन नहीं, उस समय तो बस नारी शरीर ही दीखता है। बात घूरने तक ही सीमित हो तो भी गनीमत है। लेकिन बात यही ख़त्म नहीं होती। कुछ नीच लोग इससे भी ज्यादा हिम्मती हो जाते हैं और गलत तरीके से  छूते हैं। क्या मजा  मिलता होगा उनको, इस तरह से छूकर ? और मजा मिलता भी हो तो अपने क्षणिक आनंद के लिए दूसरे को कष्ट देना कहाँ तक सही है। लड़कियाँ भी इनको चाँटा मारकर या फिर जोर की चिकोटी काट कर आनंदित हों, तो इन पर बीतेगी ?

सबसे घृणित कार्य तो बलात्कार होता है। पता नहीं किसी को प्रताड़ित करके , दर्द देकर किस आनंद की अनुभूति होती है नीच लोगों को ? आपके सामने कोई गिड़गिड़ा रहा है, दर्द के मारे चिल्ला रहा है, बक्श देने की गुहार लगा रहा है और आप उसके साथ जबरदस्ती सम्भोग कर रहे हो। इस तरह के दृश्य को की कल्पना करके, सोच कर ही दिल द्रवित हो उठता है। लेकिन पता नहीं किस चीज का बना होता है इनका ह्रदय, तनिक भी दया नहीं आती, उलटे आनंद की अनुभूति करते रहते हैं। दिनों दिन इस तरह की घटनाएँ बढ़ती ही जा रही है। इसके पीछे सबके अपने अपने तर्क हैं। कुछ लोग कहते हैं कि लड़कियों के भड़काऊ कपडे इस तरह की घटनाओं के  पीछे जिम्मेदार है। कुछ लोग मोबाइल , कुछ मांस मदिरा , तो कुछ लोग अन्य तरह के भोज्य एवं पेय पदार्थ को इसका जिम्मेदार मानते हैं। मगर ज्यादातर लोग नीच लोगों की नीच मानसिकता को ही इसका जिम्मेदार मानते हैं।

इससे बचने के लिए उपाय भी लोग भिन्न भिन्न प्रकार से बताते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि लड़कियों को देर रात घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए , कुछ कहते हैं कि दिन में भी अकेले नहीं निकलने चाहिए, तो कुछ कहते हैं कि भड़काऊ कपडे नहीं पहनने चाहिए। बलात्कारियों को दी जाने वाली सजा को भी कठोर करने की बात की जाती है समय समय पर। कहा जाता है कि कड़ी सजा दे डर से इस तरह की घटना समाप्त हो सकती है। कुछ भी कही सुनी जाए लेकिन घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। यह भी सत्य है कि बलात्कार के बाद लड़की की जिंदगी एक तरह से तबाह सी ही हो जाती है। कई दिनों तक सदमे में रहने के बाद भी सामान्य जिंदगी जीने में काफी वक्त लग जाता है। आज कल तो बलात्कार के बाद लड़की की हत्या कर देने के मामले भी सामने आये हैं।

कुछ भी हो लेकिन इस दिशा में पहल समाज और सरकार को ही करनी होगी।
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About मृत्युंजय श्रीवास्तव

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