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नसबंदी या मौत



4 मार्च, 2015

अभी पिछले हफ्ते की बात है , छत्तीसगढ़ में करीब 50 महिलाएं नसबंदी करवाने के बाद मौत के मुँह में समा गयी।  यह खबर किसी के भी दिल को चीड़ कर रख दे। लेकिन सत्य तो सत्य है। फिर शुरू हुई कारण पता लगाने कवायद। कारण पता लग जाने एवं दोषी को चिन्हित कर लेने से क्या होगा ? मरी हुई जान वापस आ जायेगी क्या ? लेकिन हमारी सरकार इससे ज्यादा कर भी क्या सकती है ? ज्यादा से ज्यादा मुआवजा बाँट देगी, मृतकों के  परिवार वालों को। फिर एक जांच कमिटी बैठा देगी सरकार और विपक्षी पार्टियाँ सी बी आई जांच की माँग करेगी, फर्ज दोनों तरफ के अदा हो गए। 
शुरुआती जाँच में डाक्टर साहब को ही दोषी माना गया, लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी कोई गलती नहीं है, दरअसल महिलाओं की मौत तो नसबंदी के बाद एंटी बायोटिक दवाई खाने से हुई। डाक्टर के पक्ष में उनका लम्बा अनुभव और उनको मिले अवार्ड्स भी हैं। बहरहाल, डाक्टर साहब तो संदेह से पर भी हो सकते हैं। फिर जाँच रिपोर्ट में जो मामला आया वो किसी की भी रूह को कंपा देने के लिए काफी था। एंटी बायोटिक दवाई  में चूहे मारने वाली रसायन मिली हुई थी। अब ऐसे रसायन की क्या जरूरत एंटी बायोटिक दवाई में ? ऐसे कर्म तो मानवता के विरुद्ध ही है न।
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