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ये लोग अवसरवादी ही तो हैं

29 दिसंबर 2013

वैसे तो आम आदमी पार्टी का गठन ही निःस्वार्थ देश सेवा के लिए हुआ था। अन्ना जी के आंदोलन में भी लोग निःस्वार्थ भाव से ही अपने पैसे खर्च करने भाग लेते थे। लोग देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान हो गए थे। कोई उनकी मदद करने वाला नहीं था। लोग पूरी तरह से निराश और हताश हो गए थे। फिर ऐसे में जब अन्ना जी ने अनशन और आंदोलन शुरू किया तो लोगों को महसूस हुआ कि कोई तो है जो उनके दर्द को अच्छे से महसूस कर रहा है और उनको इन परेशानियों से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकता है। फिर क्या था लोग हो लिए अन्ना जी के साथ। 

लेकिन अन्ना जी के अनशन को सरकार गम्भीरता से नहीं ले रही थी। एक तरह से अनशन एवं आंदोलन निष्फल सा हो रहा था। लोगों का जोश भी कम हो रहा था और फिर निराशा के बादल छाने लगे थे। सरकार कि तरफ से बार बार व्यंग्य किये जा रहे थे कि चुनाव लड़कर सरकार बना लो और अपनी पसंद के क़ानून बना लो। तभी अरविन्द जी ने राजनीतिक दल के गठन का निर्णय लिया। लोगों ने उनके निर्णय का पूरजोर स्वागत किया। 

इस पार्टी के सभी कार्यकर्त्ता ने निःस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम किया। किसी को किसी पद या पैसे का लालच नहीं था, बल्कि अपने ही पैसे से , अपनी नौकरी से छुट्टी करके पार्टी के लिए प्रचार करते थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव २०१३ , में भी दिल्ली ही नहीं बाहर के लोगों ने भी पार्टी के कार्यों में तन मन और धन को समर्पित कर दिया बिना किसी लोभ और लालच के। लिहाजा पार्टी को प्रत्याशित सफलता मिली। 

लेकिन जब से पार्टी को दिल्ली में सफलता मिली है , कुछ लालची लोग पार्टी की तरफ लालायित होने लगे हैं। जहाँ अभी तक ये लोग पार्टी को कोसने में नए नए उपमा और अलंकारों का प्रयोग करते नहीं थकते थे, अचानक से आज उनको आम आदमीं पार्टी, दुनिया कि सबसे ईमानदार पार्टी नजर आने लगी है। कांग्रेस की एक नेत्री जो सरकार बनने से पहले तक आम आदमीं पार्टी को दिन रात कोसती थी, ने अब पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है। अचानक से उनको कांग्रेस हिटलरवादी नजर आने लगी है, जहाँ कार्यकर्त्ता की नहीं सुनी जाती है और सारे फैसले बंद कमरे में ले लिए जाते हैं। 

अभी तक ये नेत्री महिला आयोग में मलाई काट रही थी। लेकिन अब जब इस पद को जाने में ६ महीने से भी कम वक्त रह गया है और पार्टी कि तरफ से भी कोई मलाईदार पद मिलने के संकेत नहीं मिले होने तो इनको आम आदमीं पार्टी पर प्यार आने लगा। कारण साफ़ है, इनको आम आदमीं पार्टी में अपना भविष्य उज्जवल दिखने लगा है। ऐसे लोगों से पार्टी को सजग रहने की जरूरत है वरना ऐसे लोग पार्टी के मूल सिद्धांत को ही ग्रहण लगा देंगे। 
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