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वफादारी तो कुत्ते से सीखी जाती है



20 सितम्बर, 2013

सुनने में तो अजीब लगता है लेकिन बहुत हद तक यह सही भी है। इस फोटो में एक कुत्ता और पिल्ला है। इससे पहले भी मैंने इनकी फैमिली फोटो लेने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाया ।  इसकी माँ इसको जन्म देने के थोड़े दिन बाद ही पता नहीं कहाँ गायब हो गई। कुछ लोग कहते हैं कि शायद MCD वाले ले गए। इनकी आँखें नहीं खुली थी तब से मैं इनको देख रहा हूँ। हमारी बिल्डिंग की सीढियों के नीचे इनका बसेरा था। आस पड़ोस के लोग इन लोगों को सुबह शाम दूध पिलाते (जिनमें हमारा परिवार भी शामिल है ) जिससे इनका पालन पोषण हुआ।

आज के ज़माने में जहाँ कुछ इंसान गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड या फिर लिव इन रिलेशनशिप कल्चर के उन्माद में तो रहते हैं , लेकिन जहाँ लड़की गर्भवती हुई, पल्ला छुड़ाने की कोशिश करते हैं। कई नीच तो मानने से भी इनकार कर देते हैं कि यह मेरा बच्चा है, उलटे लड़की के चरित्र पर ही ऊँगली उठाने लगते हैं। लेकिन इस कुत्ते ने बच्चों की शुरू से ही देख भाल की। सुबह शाम मैंने इसको इन पिल्लों से मिलते जुलते देखा है। लोग बताते हैं कि यह दोपहर में भी मिलने आता है। पिल्ले इसके साथ काफी देर तक खेलते कूदते रहते थे।

पता नहीं ये इन पिल्लों का बाप हो या न हो, लेकिन नि:स्वार्थ भाव से ऐसी देखभाल शायद को बाप भी न कर पाए।

तुम महान हो कुत्ता जी।



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About मृत्युंजय श्रीवास्तव

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