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डेंगू को तो समस्या ही नहीं मानते दिल्ली के नेता


16 सितम्बर, 2013

दिल्ली में हर साल वर्षा ऋतु से शरद ऋतु तक डेंगू बुखार का भीषण प्रकोप रहता है पिछले ४-५ सालों से। सैकड़ों लोग इस बीमारी से दिल्ली में मरते हैं और हजारों लोग बीमार पड़कर अस्पताल का बिल भरते हैं। एक बार डेंगू से पीड़ित व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हो जाए तो उसको हर पल मौत करीब नजर आती है जब तक कि उसके स्वास्थ्य में सुधार न होने लगे।

स्वास्थ्य में सुधार का मतलब होता है ब्लड प्लेटलेट में वृद्धि होने की शुरुआत। उसकी तीमारदारी में लगे परिजनों की मानसिक स्थिति और ख़राब होती है। अपना काम धंधा छोड़कर दिन रात दवाई लाने में लगे रहते हैं। दिल हमेशा इस आशंका में डूबा रहता है कि न जाने कौन से पल में डॉक्टर कह दे कि प्लेटलेट का इंतजाम करना होगा। आधी हिम्मत तो तभी टूट जाती है जब डॉक्टर प्लेटलेट की बात करता है। फिर शुरुआत होती है अपने जानने वालों के बीच में से रक्तदाता की। कोई मिल गया तो ठीक वरना ब्लड बैंक्स की ख़ाक छानते रहो।  ऊपर से पल पल यह दर की कहीं प्लेटलेट और कम न हो गया हो।

अमीर लोग तो पैसे के दम पर अपेक्षाकृत जल्दी जुगाड़ कर लेते हैं लेकिन गरीब व्यक्ति कहाँ जाए ? दवा और दुआ के अलावा उनके पास चारा ही क्या है ? सरकार भी हॉस्पिटल में ये व्यवस्था है, वो व्यवस्था है कह कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। लेकिन इस समस्या के प्रति क्या हम गंभीर हैं ? घरों की साफ़ सफाई तो हम अच्छे से कर लेते हैं, मच्छर मारने और भगाने की बताई हर विधि का पालन कर लेते हैं। फिर भी डेंगू की समस्या, क्यों ?

मतलब साफ़ है कि ये मच्छर घर के बहार पैदा होकर हमें बीमार कर रहे हैं। अब दिल्ली में एक सरकार भाजपा की और एक सरकार कांग्रेस की है। लेकिन सफाई की समस्या किसी को नजर नहीं आ रही है। कोई भी सफाई की समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं।  सबको बिजली, पानी, सड़क, भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। चुनाव में यही मुद्दे छाए हुए हैं।  लेकिन डेंगू चिकनगुनिया और स्वाइन फ़्लू किसी के लिए मुद्दा नहीं है। और तो और अपने को सबसे इमानदार और जनता की समस्याओं को सबसे प्रभावी ढंग से निवारण करने का दावा करने वाली नई नवेली "आम आदमी पार्टी " भी इस मुद्दे पर चुप है। जब जनता को ही यह मुद्दा नहीं लगता तो राजनीतिक दल क्यों इसमें पड़ेंगे ? जनता को तो हर समस्या को अपना भाग्य दुर्भाग्य या फिर किस्मत का लेख समझकर झेल जाने की आदत है।

लोग कुछ भी कहें, लेकिन हमारा वोट तो वही ले जाएगा जो डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू मुक्त दिल्ली देने का वादा करेगा।
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